पुनः जन्म लेना होगा

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जीसस की 18 वर्षों की लम्बी अनुपस्थिति के बारे में बाइबल मौन है, लेकिन जब अज्ञातवास के बाद जीसस पुनः प्रकट हुए तो उन्होंने परमेश्वर के राज्य को देखने के लिए मनुष्य को पुनः जन्म लेने की आवश्यकता के बारे में उपदेश दिया।

बाइबल कहती है:

  • यीशु ने स्पष्ट शब्दों में कहा, यदि कोई नये सिरे से न जन्में तो परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता”।

    जॉहन ३:३

  • निकोडियस ने उनसे कहा, क्या एक वृद्ध व्यक्ति पुनः जन्म ले सकता है! क्या वह अपनी माँ की कोख में दुबारा प्रवेश कर सकता है? और फिर जन्म ले ।

    जॉहन ३:४ण

  • यीशु ने स्पष्ट शब्दों में कहा यदि कोई मनुष्य पानी और आत्मा से उत्पन्न न हो तो वह परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता ।

    भजॉहन ३:५ण

  • कि मांस से मांस उत्पन्न होता है और जो आत्म तत्व से जन्म लेता है आत्मा है ।

    जॉहन ३:६

  • जो मैंने उनसे कहा उससे अचम्भित न होओ, तुम्हें पुनः जन्म लेना होगा ।

    जॉहन ३:७ण

  • हवा चलती है आवाज के साथ तुम उसकी आवाज को सुनते हो, लेकिन नहीं बता सकते कि वह कहाँ से आती है और कहाँ जाती है, इसी प्रकार प्रत्येक है जो आत्मा से जन्म लेता है ।

    जॉहन ३:८


यीशु ने आदमी के बारे में कहा है कि “दुबारा जन्म लेना होगा” इसका क्या मतलब है? बाइबल के व्याख्याकारों में इस बारे में अभी भी भारी भ्रम की स्थिति है।

पुनः जन्म अर्थात द्विज की अवधारणा की बड़ी सावधानीपूर्वक पवित्र घोषणा हिन्दू धर्म में की गई है जो यीशु से कई हजार वर्ष पहले की है।

हिन्दू दर्शन में द्विज (दूसरा जन्म) होने की अवधारणा है।

गुरुदेव सियाग स्पष्ट करते हैं, हिन्दू दर्शन के अनुसार, पृथ्वी पर मनुष्य अपने जीवन में दो बार जन्म लेता है, पहली बार अपने भौतिक माता-पिता से, और दूसरी बार तब जब गुरू द्वारा शिष्य को आध्यात्म के मार्ग पर योग द्वारा चलने के लिये दीक्षित किया जाता है। शिष्य के रूप में एक साधक की दीक्षा आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर चलने का आरम्भ है जो प्रत्यक्षानुभूति तथा आत्मसाक्षात्कार तक पहुँचाता है। अतः यह दूसरा जन्म, गुरू की दयालुतापूर्ण देखरेख के साथ जुडा हुआ है।
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गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग

एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक

पश्चिम में ईसाई धर्म के अनुयायी पुनः जन्म का सही मतलब तब जान पायेंगे जब वे निकट भविष्य में गुरू सियाग से सिद्धयोग की शक्तिपात दीक्षा प्राप्त करेंगे।

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