भीषण नरसंहार का आध्यात्मिक कारण
गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक
आज विश्व में जो भीषण नरसंहार हो रहा है उसका आध्यात्मिक कारण है, पार्थिव चेतना में उस परमतत्त्व का अवतरित हो जाना। कलियुग के गुणधर्म के कारण सम्पूर्ण विश्व तामसिक शक्तियों के चंगुल में जकड़ा हुआ है। लाखो-करोड़ों निर्दोष स्त्री-पुरूष और बच्चों को बेरहमी से तड़पा-तड़पाकर मारा जा रहा है। आज तक जितने लोग मरे, उनमें सर्वाधिक संख्या यहूदियों की है। सम्पूर्ण विश्व में इन पर बहुत लम्बे समय से कहर बरपाया जा रहा है। मैं बहुत समय से ईसाई जगत् को इस भीषण नरसंहार के संबंध में निरन्तर संदेश भेज रहा हूँ कि यह दो धर्मों की लड़ाई है, इसका समाधान भी यहूदियों और ईसाइयों के धर्माचार्यों को एक साथ बैठकर ही करना होगा।
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पैगम्बरवाद के सिद्धान्त के अनुसार ईसाई जगत् सम्पूर्ण विश्व के सामने तीसरे और अन्तिम पैगम्बर का नाम घोषित करेगा, तभी इस भीषण नरसंहार का अंत होगा। मेरे निरन्तर प्रयास के कारण मेरे संदेश को जब मेरे वेबसाइट पर लाखों ईसाइयों ने देखा और पढ़ा तो उनके अन्तरमन में हलचल पैदा हो गई। इसी के कारण तेल अवीव से रोजी नाम की 54 वर्षीय एक यहूदी महिला मुझे गुरु बनाने, जनवरी 2003 में भारत आई। उसने 16 जनवरी,2003 को मुझसे दीक्षा लेकर शिष्यत्व ग्रहण किया। इस प्रकार 16 जनवरी 2003 का बृहस्तिवार दोनों तत्त्वों के एक हो जाने के रूप में याद रखा जाएगा। यह आकाश तत्त्व और पृथ्वी तत्त्व का पूर्ण मिलन है, ऐसा मिलन जिसका कभी अन्त नहीं होगा। यह दो दिव्य शक्तियों का मिलन है। इसमें आकाश तत्त्व नीचे उतर कर पृथ्वी तत्त्व में इस प्रकार मिल गया कि अब उसे कभी भी किसी प्रकार भी एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकेगा।
मैं भारत के भविष्य को बहुत उज्ज्वल देख रहा हूँ। भौतिक विज्ञान को जितना मानवीय चेतना में विकसित होना था, हो चुका है। परन्तु विश्व में अशान्ति निरन्तर बढ़ रही है। भारत में 1967 के बाद से धार्मिक चेतना निरन्तर बढ़ रही है। यह चेतना 1969 तक नीचे उतर कर पार्थिव चेतना में पूर्ण रूप से लय हो गई। सन् 2019 के अन्त से पहले-पहले सम्पूर्ण मानव जाति अपने असली स्वरूप अर्थात् दिव्य रूप में रूपान्तरित हो जाएगी।