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भारत में अंधेरा ठोस बनकर जम गया है।
31 मार्च 1997
गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
एवीएसके, जोधपुर के संस्थापक और संरक्षक

निश्चित रूप से भारत तामसिक शक्तियों से पूर्ण रूप से जकड़ा हुआ है। जिस प्रकार गज (हाथी) समुद्र में डूबने लगा था, उसी प्रकार भारत अन्धकार में डूब रहा है। और जिस प्रकार गज की करुण पुकार पर सुदर्शनधारी ने उसे मुक्त किया था, भारत भी मात्र उसी उपाय से बच सकता है।

  • भारत को आजाद करना पश्चिम की मजबूरी थी। यही कारण है, वे शक्तियाँ भारत के दो टुकड़े कर गयीं और वे शक्तियाँ आज तक एक और विभाजन के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने लगभग सम्पूर्ण पूर्वोत्तर भारत को ईसाई बनाने का षड्यंत्र रचा हुआ है ताकि भारत का एक और विभाजन कर सकें। दूसरी तरफ देश को आर्थिक जाल में बुरी तरह से जकड़ रखा है। आज देश की आय का एक तिहाई भाग ब्याज में देना पड़ रहा है।क्या कोई व्यवसाय 33 प्रतिशत की दर से रकम उधार लेकर पनप सकता है? कभी नहीं।

  • तीसरे विभाजन की कोशिश मध्यपूर्व की शक्तियाँ कर रही हैं। वे पश्चिमोत्तर भारत को भारत से अलग करने का पूर्ण प्रयास कर रही हैं। इसके अतिरिक्त उपर्युक्त दोनों शक्तियों ने सम्पूर्ण देश में भाषा, धर्म, जाति और क्षेत्रिय भावनाओं को भड़काकर सम्पूर्ण देश का वातावरण अशान्त बना रखा है। ऐसी स्थिति में देश को बचाने का एक ही आधार है "धर्म"। क्योंकि भगवान् श्रीकृष्ण ने महर्षि श्री अरविन्द को अलीपुर जेल में कहा था- "भारत, धर्म के द्वारा और धर्म के लिए ही अस्तित्व में है।"

  • भारत का सिद्धान्त है-"अहिंसा परमोधर्मः।" इस देश और इस धर्म को हिंसा से कभी नष्ट नहीं किया जा सकता।

  • इस संबंध में स्वामी विवेकानन्द जी ने ब्रुकलीन में 1895 में कहा था
    भारत का संदेश है कि शांति, शुभ, धैर्य और नम्रता की अन्त में विजय होगी। क्योंकि वे यूनानी कहाँ हैं, जो एक समय पृथ्वी के स्वामी थे? समाप्त हो गये। वे रोमवाले कहाँ हैं, जिनके सैनिकों की पदचाप से संसार काँपता था? मिट गये। वे अरबवाले कहाँ हैं जिन्होंने पचास वर्षों में अपने झण्डे अटलांटिक महासागर से प्रशान्त महासागर तक फहरा दिये थे? और वे स्पेन वाले करोड़ों मनुष्यों के निर्दयी हत्यारे कहाँ हैं? दोनों जातियाँ लगभग मिट गईं। परन्तु अपनी संतान की नैतिकता के कारण यह दयालु जाति कभी नहीं मरेगी, और वह फिर अपनी विजय की घड़ी देखेगी।

    - स्वामी विवेकानन्द जी

    (ब्रुकलीन)

    इस संबंध में महर्षि श्री अरविंद ने भी कहा था -

  • "भारत, सच्ची स्वतंत्रता राजनैतिक अस्त्रों के माध्यम से नहीं वरन् आध्यात्मिक उन्नति के द्वारा प्राप्त करेगा।"

  • इस संबंध में स्वामी विवेकानन्द जी ने भी कहा है -

  • "भारत का प्राण धर्म है, भाषा धर्म है तथा भाव धर्म है।’’

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