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साहब सिंह

एल-4 व एल-5 के बीच घिसी हुई इन्टरवरटिब्रल डिस्क के दर्द से छुटकारा

पता

कबलाना, झज्जर, हरियाणा, भारत

सर्वप्रथम पूज्य सद्‌गुरुदेव को प्रणाम, नमन् व वंदन। मैं, साहब सिंह, भारतीय थल सेना, मुम्बई में कार्यरत हूँ। मैं कमर दर्द की तकलीफ से परेशान था जब जाँच करवाई तो MRI में PIVD (Prolapse Intervertebral Disk) L4,L5 निकला व मुम्बई के अश्विनी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उस समय तक परेशानी भी बढ़ गयी थी। एक ही जगह पर दो मिनट से ज्यादा नहीं बैठ सकता था। एक पैर भारी हो जाता था और पैर सुन्न हो जाता था।

  • कुछ भी काम करने की हिम्मत नहीं होती थी व आलसपन छाया रहता था। झुकने में तकलीफ होती थी व कमर में टेढ़ापन आ गया था व टेढ़ा होकर चलता था। डॉक्टर ने बताया कि आपके रीढ़ की हड्डी में L4,L5 के बीच में जो Intervertebral Disk होती है व घिस गयी हैं L4,L5 दोनों vertebral आपस में मिल रही है। Neurosurgeon ने Operation की सलाह दी व बताया कि Operation काफी Risky है।

  • उसी दौरान एक साधक ने मुझे गुरुदेव के बारे में बताया व ध्यान करवाया तो पहले ही दिन मेरा ध्यान लग गया और मैं एक ही स्थिति में आधा घण्टा बैठा रहा व मुझे कोई दर्द नहीं हुआ। जबकि पाँच मिनट से ज्यादा एक position में नहीं बैठ सकता था तो उसी दिन से मुझे गुरुदेव के प्रति समर्पण हो गया।

फिर अच्छा ध्यान लगने लगा। ध्यान के दौरान शरीर पीछे जाने लग जाता था व आँखों से पानी गिरने लगता था व रीढ़ की हड्डी में टक-टक की आवाज आने लगती थी जैसे कोई हथौड़ी से मरम्मत कर रहा है व ध्यान के दौरान नींद जैसे लगने लग जाती थी। मैंने 11 मई 2009 से ध्यान करना शुरु किया। पाँच-सात दिन में ही मुझे बहुत आराम मिल गया। पन्द्रह दिन में, मैं बिल्कुल स्वस्थ हो गया।
  • पहले वार्ड में दर्द के इंजेक्शन लगते थे व टेबलेट देते थे तो सात दिन बाद दर्द में कुछ आराम मिलता था। गुरुदेव का मंत्र जप व ध्यान करने पर बहुत आराम मिल गया तो इंजेक्शन व टेबलेट बन्द कर दी व मैने डॉक्टर को Operation से मना कर दिया। पन्द्रह दिन में, मैं बिल्कुल ठीक हो गया। डॉक्टर ने अस्पताल से छुट्टी दे दी व डॉक्टर ने मुझे वजन उठाने, दौड़ने, कूदने, परेड करने व गेम्स खेलने से मना किया व साधारण जीवन जीने की सलाह दी।

  • अब मैं नियमित नाम जप व ध्यान कर रहा हूँ। मैंने सितम्बर 2009 में गुरुदेव से दीक्षा ली। अब मैं पूर्णरूप से स्वस्थ हूँ तथा कोई दवाई नहीं खाता हूँ व सेना की सारी ड्यूटी व दिनचर्या का पालन करता हूँ। सूबह 5 कि.मी. दौड़ता हूँ व परेड भी करता हूँ, गेम्स खेलता हूँ व मुझे कोई तकलीफ नहीं हो रही है। घर पर भी माताजी ध्यान कर रही है। पहले मैं माँसाहारी था। अब खाने का मन ही नहीं करता व शद्ध शाकाहारी बन गया हूँ। ऐसे समर्थ सदगुरुदेव को कोटि-कोटि नमन् जिनकी कृपा से मुझे स्वस्थ जीवन मिला। अभी में गुरुदेव का प्रचार कर रहा हूँ। मै चाहता हूँ ज्यादा से ज्यादा लोग सिद्धयोग दर्शन से लाभान्वित हो।

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