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अमराराम

ल्यूकेमिया ठीक हुआ

पता

गाँव-खरंटिया (सरनू) जिला-बाड़मेर, (राजस्थान), भारत

सन् 2011 में, जब मैं दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था तब खेत में काम करते समय मुझे कमजोरी और थकान लगने लगी। मेरे पिताजी मुझे विश्नोई अस्पताल ले गए। खून की जाँच से पता चला कि मेरा हिमोग्लोबिन बहुत कम है - केवल 5.6।

  • मुझे चार बोतल खून चढ़ाकर अस्पताल से कुछ दिनों बाद छुट्टी दे दी गई। जब मैं एक सप्ताह बाद दुबारा अस्पताल गया तब तक मेरा हिमोग्लोबिन गिर कर 3.1 आ चुका था। इसे देखते हुए डाॅक्टरों ने मेरे पिताजी को अहमदाबाद में किसी अच्छे अस्पताल में दिखाने का परामर्श दिया।

  • तब मेरे पिताजी मुझे अहमदाबाद के लाईफ केयर अस्पताल में ले गए। यहाँ जाँच करने पर पता चला कि मेरा हिमोग्लोबिन गिर कर 2.9 हो चुका है। डाॅक्टरों ने जाँच करके मेरे पिताजी से कहा कि मुझे ल्यूकेमिया है और इसके इलाज के लिए लगभग 10 लाख रूपये लगेंगे। मेरे पिताजी ने मुझे सिविल अस्पताल में भर्ती करवा दिया।

मेरे पिताजी को बता दिया गया कि मेरा इस बीमारी से ठीक हो जाने की संभावना बहुत कम है। मुझे 20 बोतल खून चढ़ाया गया। जहाँ एक स्वस्थ इन्सान के शरीर में लगभग 150000 प्लेटिलेट्स होती हैं वहाँ मेरे शरीर में केवल 3000 प्लेटिलेट्स पाईं गई। मुझे 90 बोतल व्हाइट ब्लड चढ़ाया गया। इतना करने पर भी मेरी बीमारी में कोई सुधार नही हुआ।
  • तब मेरे अध्यापक मांगीलाल जी पोटलिया ने कहा कि यह गुरुदेव रामलाल जी सियाग के ध्यान व मंत्र जप से ही ठीक हो सकता है। मांगीलाल जी ने फोन करके अहमदाबाद से किसी गुरुभाई को मेरे पास भेजा, जिन्होंने मुझे फोन द्वारा संजीवनी मंत्र सुनाया। तभी से मेरे स्वास्थ्य में सुधार होने लगा, तीन चार दिन बाद हीमोग्लोबिन की मात्रा भी बढ़ने लगी और अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई।

  • 5 लाख रूपये खर्च हुए उससे कोई फायदा भी नहीं हुआ। केवल गुरुदेव के द्वारा दिए गए संजीवनी मंत्र से ही सब कुछ हो गया। अब मेरा हीमोग्लोबिन 13.5 है। प्लेटिलेट्स 2.65 लाख है। मेरे जीवन में अब गुरुदेव के कारण खुशी और शांति है। यह शरीर गुरुदेव की देन है। गुरुदेव के चरणों में कोटि-कोटि नमन्।

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