Image रामभरोसे यादव

रामभरोसे यादव

संजीवनी मंत्र का अद्भुत कमाल

पता

रामभरोसे यादव (56 वर्ष) तहसील-राजगढ़ जिला-अलवर (राज.)

मेरा नाम रामभरोसे यादव है, तहसील-राजगढ़ जिला-अलवर का रहने वाला हूँ। मैं यहाँ जोधपुर में सन् 1980 से रेलवे में कार्यरत हूँ। अचानक मेरे जीवन में कुछ दुःखद दिन आए और सन् 2007 के आस-पास मेरे दाएं पैर के घुटने में दर्द होने लगा तथा पैर घुटने से मुड़ना बंद हो गया, पैर सीधा ही रहता था। मुड़ता बिल्कुल भी नहीं था।

  • मैं लगभग छः महीने तक चारपाई पर पड़ा रहा। बहुत दुःखी था। असहनीय दर्द होता था। मैंने जोधपुर के लगभग सारे डॉक्टरों को दिखा दिया। जिनको भी दिखाया, उन्होंने अपने अपने हिसाब से दवाईयाँ बदल-बदल कर दी लेकिन कोई आराम नहीं मिला। इसी कड़ी में अजमेर के एक डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने जाँच करने के बाद दवाईयाँ दी और कहा कि यह दवाईयाँ लो इससे कुछ फायदा होता है तो ठीक, नहीं तो पैर का ऑपरेशन होगा। हो सकता है पैर ठीक भी हो जाये और नहीं तो फिर पैर काटना पड़ेगा और एक पैर काटा तो कुछ समय बाद दूसरा भी काटना पड़ सकता है। तकरीबन एक लाख रूपये से भी ज्यादा की दवाईयाँ खाने के उपरान्त भी मेरे पैर में थोड़ा-सा भी फायदा नहीं हुआ।

  • फिर मैंने देशी आयुर्वेदिक दवाईयाँ भी लीं, परन्तु उससे भी कोई आराम नहीं मिला। फिर डॉ. शिवलाल यादव जो दिल्ली एम्स हॉस्पीटल में हड्डी के विशेषज्ञ डॉक्टर हैं, उनको रिपोर्ट दिखाई तो उन्होंने कहा कि इसका तो ऑपरेशन ही करना पड़ेगा, खर्चा तो काफी आएगा परन्तु ऑपरेशन करवा देंगे, आप यहाँ आ जाओ। मैंने पूछा कि "खर्चा कितना आएगा?" तो उन्होंने कहा "लगभग 5-6 लाख रुपये लग जाएंगे।" उस हिसाब से मैंने दिल्ली जाने के लिए ट्रेन का टिकट रिजर्वेशन करा लिया था।

यह बात मैंने मेरे मित्र गंगाराम जी को बताई तो उन्होंने कहा "ठीक है दिल्ली तो बाद में जाना ही है, उससे पहले मेरी एक राय है कि कल गुरुवार के दिन अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र, जोधपुर में सदगुरुदेव श्री रामलालजी सियाग का विशाल कार्यक्रम है, वहाँ चलते हैं, हो सकता है गुरुदेव की कृपा से आपका पैर ठीक हो जाए! तो मैंने कहा "गंगाराम जी जब डॉक्टरों ने ऑपरेशन का बोला है तो गुरु जी के पास में ऐसा क्या है जो मेरा पैर ठीक कर देंगे।" मैंने उनकी बात को टालना चाहा परन्तु वे माने नहीं। उन्होंने कहा "आप एक बार मेरे कहने से टिकट रद्द(Cancel) करा दो। मैंने कहा "मैं चल नहीं सकता, मुझे वहाँ ले जाएगा कौन?" तो उन्होंने कहा "मैं आपको रिक्शे में बिठा कर ले जाऊँगा, इसकी आप चिंता मत करो।"
  • दूसरे दिन श्री गंगाराम जी मुझे कार्यक्रम में ले गए। वहाँ जाकर देखा तो पूरा मैदान जनता से खचाखच भरा हुआ था। मैंने गंगाराम जी से कहा कि यहाँ इतनी भीड़ में अपना नम्बर कब लगेगा? चलो वापस चलते हैं, क्योंकि मैं सोच रहा था कि गुरुजी कान में कोई मंत्र फूंकेंगे। उन्होंने कहा कि "नहीं, यहाँ ज्यादा समय नहीं लगेगा, गुरुदेव सबको एक साथ माइक से मंत्र सुनाएंगे। आप यहाँ तक आए हैं तो थोड़ा विश्वास और धैर्य से बैठ जाइए। तो मैं, मेरा बेटा व गंगाराम जी हम तीनों वहाँ बैठ गये। थोड़ी देर बाद माइक से घोषणा हुई कि गुरुदेव पधार रहे हैं। मैंने उधर देखा तो बिल्डिंग की दूसरी मंजिल से गुरुदेव आते हुए दिखे। ज्योंही मैंने गुरुदेव को देखा तो मुझे ऐसा लगा कि "साक्षात् भगवान्, आसमान से धरती पर उतर रहे हैं और मेरे अंदर असीम शांति महसूस हुई।" मेरे अंदर जो वापस जाने की इच्छा थी, वह एकदम से खत्म हो गई।

  • प्रथम दर्शन में ही मन में एक नीरवता व शांति का एहसास हुआ। गुरुदेव आकर आसान पर बैठे। सिद्धयोग दर्शन की जानकारी दी, मंत्र सुनाया और कहा कि "इस मंत्र का सघन जप करो और मेरी तस्वीर का ध्यान करो, चाहे कैसी भी बीमारी हो ठीक हो जाएगी।" इसके बाद पन्द्रह मिनट का ध्यान करने का बोला तो सबने आँखें बंद कर ध्यान शुरू किया। ज्योंही ध्यान शुरू किया, कई साधकों को यौगिक क्रियाएँ होने लगी। कोई जोर-जोर से हंस रहा है, तो कोई रो रहा है, किसी को प्रणायाम हो रहा है, सबको अलग-अलग तरह की यौगिक क्रियाएँ स्वतः ही होने लगी। मेरे लिए ये सब कौतुहल ही था। ऐसा कभी देखा नहीं था। इतने में मेरे पास बैठे मेरे बेटे का ध्यान लग गया और वह गुलाटियाँ खाने लग गया तो मैं देखने लग गया और मुझे डर लगने लगा कि मेरे बेटे को क्या हो गया? मैंने गंगारामजी से कहा कि आप हमारे को कहाँ भूत खाने में ले आये? एक तो समस्या पहले थी ही, एक मेरे बेटे के गड़बड़ और हो गई, यहाँ से जल्दी निकलो।

  • उस यौगिक क्रिया को देखकर, पहले जो नीरवता व शांति का एहसास हुआ था उसको मैं भय के कारण अचानक भूल गया। गंगाराम जी ने हमें रोक लिया और बोले कि आप थोड़ा धीरज रखो, कोई गड़बड़ नहीं होगा। थोड़ी देर बाद जैसे ही गुरुदेव ने बोला कि पन्द्रह मिनट का समय पूरा हो गया है, आँखें खोल दो तो सब शांत हो गये और पहले जैसी स्थिति में वापस आ गए। उसके बाद गुरुदेव ने बोला कि "जहाँ बैठे हो नमस्कार करो और पधारो।" उसके बाद गुरुदेव चले गए। इसके बाद सबने गुरुदेव के सिद्धासन को छूकर नमन किया और जाने लगे। फिर हमने गुरुदेव की तस्वीर ली और घर आ गये। इसके बाद बीमारी को लेकर जो मन में मुझे चिंता थी वह खत्म हो गई। मुझे विश्वास हो गया कि अब मेरी बीमारी ठीक हो सकती है।

  • सात-आठ दिन तक मैं मंत्र जप व ध्यान करता रहा, परन्तु मेरा ध्यान लगा नहीं। उन्हीं दिनों में मुझे रेलवे ऑफिस से कॉल आया कि 60 दिन की ट्रेनिंग के लिए आपको उदयपुर जाना होगा, क्योंकि मैं पिछले छह महीने से घर पर था। दीक्षा लेने के नवें दिन मुझे उदयपुर जाना था। उसी दिन शाम को 9:00 बजे के आस-पास मैं नहा-धोकर तैयार हो गया क्योंकि मेरी 11:00 बजे की बस थी। मैंने मेरे बेटे से कहा कि मुझे बस में बैठा देना, मैं चला जाऊँगा। रवाना होने से पहले मैंने सोचा कि अभी समय तो पड़ा ही है, थोड़ा ध्यान कर लूँ। गुरुदेव की तस्वीर के सामने पैर सीधा रख कर बैठा और ध्यान करने लगा, जैसे ही ध्यान शुरू किया, मेरा ध्यान लग गया और मैं अचानक सीधा खड़ा हो गया। मेरे पैर में जोरदार झटका लगा और पैर सीधा हो गया। मेरे पैर में से, घुटने से एड़ी तक होता हुआ एक आग का गोला-सा निकल गया। मेरे पैर में जो असहनीय दर्द था, वह सारा गायब हो गया। मैं जोर-जोर से कूदने-नाचने लग गया और मैं क्या देखता हूँ कि भगवान् श्री कृष्ण मेरे सामने, ऊपर की तरफ बंशी बजाते हुए नाच रहे हैं।' मैंने उनसे कहा भगवान् आओ-आओ-मेरे पास आओ, आपको मेरे पास आना ही पड़ेगा। वह सामने बंशी बजाते हुए नाच रहे हैं किन्तु पास नहीं आए। बाद में मेरे बार-बार पुकारने पर वह मेरे पास आए और मेरे सीने में घुस गए।

  • इसके बाद मैंने भगवान् शंकर की तस्वीर, जो मेरे घर में लगी थी, की तरफ हाथ से इशारा करते हुए पुकारा-आओ-आओ शंकर मेरे पास आओ, आपको मेरे पास आना ही पड़ेगा, तब भगवान् शंकर तस्वीर में से निकल कर मेरे सिर में घुस गये। फिर गुरुदेव व दादा गुरुदेव (बाबागंगाईनाथ जी योगी) आये और दोनों ही मेरे दाएं और बाएं कंधों पर बैठ गये। मेरी जीभ स्वतःही उलट कर तालु में धंस गई और खेचरी मुद्रा लग गई, ऊपर से रस (अमृत) टपकने लगा। उस रस का स्वाद इतना मधुर था कि ऐसा स्वाद बाहर किसी भी चीज में नहीं है। मैं उस रस को चूसने लगा। मेरा मंत्र जप रुक गया और वह एक धुन में बदल गया। मेरे बच्चे पास में चिल्लाने लगे कि पापा आपका तो कल्याण हो गया, आपका पैर गुरुदेव ने ठीक कर दिया।

  • उसके बाद मेरा पैर बिल्कुल ठीक हो गया, आज तक कभी भी दर्द नहीं हुआ, मेरे को हजारों रुपये की दवाईयाँ फेंकनी पड़ी क्योंकि दवाईयाँ मेरे कोई काम की नहीं थी। जो बीमारी लाखों रूपये की दवाईयों से ठीक नहीं होती है, वह गुरुदेव ने एक मंत्र के माध्यम से पूरी तरह से खत्म कर दी। अब मैं हर समय गुरुदेव द्वारा बताए गये संजीवनी मंत्र का जप करता रहता हूँ और सुबह-शाम पन्द्रह मिनट गुरुदेव की तस्वीर का ध्यान करता हूँ।

  • मेरे परिवार के सभी सदस्यों ने उसी समय गुरुदेव से मंत्र दीक्षा ले ली थी। मेरा परिवार आनन्दमय जीवन जी रहा है। मैं अब भी ट्रेन चलाता हूँ और लोगों को गुरुदेव के दर्शन की जानकारी देता रहता हूँ। मेरे सारे कार्य गुरुदेव की कृपा से सफल होते हैं।

  • सदगुरुदेव भगवान् की ऐसी करुण कृपा हुई कि मेरा नारकीय जीवन सुखद और स्वस्थ्य, आनंदमय जीवन बन गया। यदि मैं दिल्ली में ऑपरेशन करवाता और सफल नहीं होता तो पैर कट सकता था। एक या दोनों ही कट सकते थे लेकिन गुरुदेव की असीम कृपा से, मैं पूर्ण स्वस्थ हो गया और अंग भंग भी नहीं हुआ। डॉक्टरों ने बोला था कि ऑपरेशन में 5-6 लाख का खर्चा आएगा, वह मेरा पूरा का पूरा बच गया।

  • अद्भुत सिद्धयोग से पूर्णतः स्वस्थ होने के बाद में, मैंने सारी दवाईयाँ और मेडिकल रिपोर्ट्स फाड़कर फेंक दी। अब मैं समझ रहा हूँ कि यदि मेरे पास मेडिकल रिपोर्ट्स होती तो दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा सबूत होता लेकिन मैं जीता-जागता सबूत दुनिया के सामने खड़ा हूँ और गुरुदेव की असीम कृपा से मंत्र जप और ध्यान से पूर्णतः स्वस्थ हुआ हूँ।

  • एक और कैंसर रोगी की घटना है। एक क्रिश्चियन औरत उसका नाम रुख्मणीदेवी है। रेलवे में हैड क्लर्क के पद पर थी। उनको गले का कैंसर हो गया था। उनको तीन बार मुम्बई के बॉम्बे हॉस्पीटल में दिखाया और दवाईयाँ ली परन्तु कोई राहत नहीं मिली। डॉक्टरों ने कहा कि अब यह छह महीने से ज्यादा नहीं जी सकती हैं। घर ले जाकर सेवा करो। किसी गार्ड ने मुझे उनके बारे में बताया तो मैं उनको गुरुदेव के आश्रम में ले आया। उन्होंने मंत्र दीक्षा लेकर मंत्र जप और ध्यान किया। उसकी स्थिति ऐसी थी कि देख नहीं सकते थे। गला सूज कर बहुत बड़ा हो गया था। वह सघन मंत्र जप व नियमित ध्यान से ठीक हो गई और पाँच-छह साल नौकरी करने के बाद, अब सेवानिवृत्त हुई हैं। सिद्धयोग ने कैंसर को मार दिया।

  • ऐसा अद्भुत ज्ञान मनुष्य मात्र के लिए है, जो श्रद्धा से झुक गया उसका कल्याण निश्चित है। मैं स्पिरिचुअल सांइस पत्रिका के माध्यम से मानव मात्र को यही राय देना चाहता हूँ कि आप सदगुरुदेव श्री रामलालजी सियाग द्वारा बताए गए संजीवनी मंत्र का जप व उनकी तस्वीर का ध्यान करो, आपका जीवन धन्य हो जाएगा। मुझे तो साक्षात् परमात्मा, सदगुरुदेव के रूप में मिल गए। ऐसे परम पूज्य सदगुरुदेव भगवान को मेरा अनन्त कोटि प्रणाम जय गुरुदेव।

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