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टीकमाराम चौधरी

मानसिक तनाव, चिंता व भय से मुक्ति

पता

टीकमाराम चौधरी (अध्यापक) गांव -लूखों का तला (सरली) बाड़मेर

मैं प्रारम्भ से ही पढ़ाई में कमजोर था। जैसे तैसे मैंने सीनियर सैकण्डरी परीक्षा उत्तीर्ण की और मैंने कॉलेज में दाखिला लिया। जब मैं बी.ए. द्वितिय वर्ष का विद्यार्थी था तब मानसिक रोग से ग्रस्त हो गया। रोग इतना भयानक था कि मेरी पढ़ाई भी छूट गई। सिर में शिखा (चोटी) के स्थान पर भयंकर दर्द होता था। रात को एक घण्टे से ज्यादा नींद नहीं आती थी।

  • किसी पागल व्यक्ति को देखता तो मैं भय के मारे पसीने से लथपथ हो जाता कि कहीं मैं भी पागल तो न हो जाऊँगा। अगर किसी परिजन या मित्र की बीमारी या मौत की खबर सुनता तो तीन दिन तक पूरा शरीर कांपता रहता था, ऐसी स्थिति में, मैं डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने मुझे देखकर बताया कि यह दवाई जो मैं दे रहा हूँ, पूरी लेना। फिर मेरी बीमारी में ज्यादा सुधार नहीं देखकर डॉ. ने डोज को बढ़ा दिया।

  • ऐसी स्थिति से तंग आकर मैंने मेरे सहपाठी एवं मित्र - चन्द्रप्रकाश चौधरी को यह परेशानी बताई। उन्होंने मुझे सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के बारे में बताया। मैंने विरोध किया कि डाॅक्टर दवाई से ठीक नहीं कर सकता तो ध्यान से कैसे ठीक हो जाऊँगा। ईश्वरीय कृपा कहिए या गुरु का महाप्रसाद कि संयोग से मुझे गुरुदेव से मिलना ही था।

  • सदगुरुदेव 09 नवम्बर 1995 को बाड़मेर पधारे। गांधी चौक विद्यालय परिसर में शक्तिपात दीक्षा का कार्यक्रम हुआ। मैं भी कौतूहलवश वहां पहुंच गया। गुरुदेव ने भारतीय दर्शन एवं पातञ्जलि के अष्टांग योग के बारे में बताया। मैं दर्शनशास्त्र का विद्यार्थी था। अतः मैं इस दर्शन को पूर्ण रूप से समझ गया। लेकिन गुरुदेव के आदेशानुसार वहां ध्यान नहीं किया क्योंकि भय ज्यादा था कि कहीं स्थिति ज्यादा खराब हो गई तो क्या होगा?

  • फिर मैंने कमरे में आकर सुबह 5.30 बजे ध्यान लगाया तो मुझे प्रथम बार ही यौगिक क्रियाएँ प्रारम्भ हो गई। मुझे इतना आनंद आया कि मैं मन ही मन खुश हो गया। उसके बाद मैं सुबह शाम नियमित ध्यान करता रहा। करीब 15 दिन बाद ही मुझे मानसिक तनाव से पूर्ण मुक्ति मिल गई। यहाँ तक की मैं भूल गया कि ऐसा रोग मुझे कभी था भी।
  • उस वर्ष मैं प्रथम श्रेणी में पास हुआ। पढ़ाई में खूब मन लगा। अच्छे अंकों से स्नातक किया एवं पी.टी.ई.टी. में मैंने बीकानेर कॉलेज मांगा। गुरुकृपा से मेरा चयन बीकानेर हो गया। एक वर्ष बी.एड. अध्ययन के दौरान गुरुदेव से खूब सानिध्य प्राप्त हुआ। अब मुझे कोई चिंता तनाव भय इत्यादि नहीं है।

  • अनुभूति-11 जनवरी 97 को सुबह मैं ध्यान में बैठा तो एक सफेद प्रकाश दिखाई दिया। उसके क्षण भर बाद में ही मुझे गुरुदेव के साक्षात दर्शन हुए। मेरे जिज्ञासु भाई बहनों से यहीं राय है कि एक बार आप गुरुदेव की तस्वीर के सामने सच्चे मन से प्रार्थना करके ध्यान कीजिए आपकी परेशानी दूर होते देर नहीं लगेगी। ऐसी महान ईश्वरीय शक्ति विश्व में अन्यत्र दुर्लभ है।

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