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आरूणि भारत

जहर का प्रभाव हटा, नया जीवन मिला

पता

आरूणि भारत बहरोड़ (अलवर)

सर्वप्रथम मेरे समर्थ सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग और दादा गुरुदेव बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी (ब्रह्मलीन) महाराज को मेरा सादर चरण स्पर्श, शत-शत नमन्, कोटि-कोटि प्रणाम। मेरा नाम आरूणि भारत है। मैं शुरू से ही धार्मिक प्रवृति और प्रभु आस्था में रहा करता था। परिवार में सभी धार्मिक प्रवृति के हैं इसलिए मैं भी धार्मिकता में संलग्न रहता था।

  • मेरे पिताजी ने सन् 2010 में मुझे गुरुदेव का फोटो दिया और ध्यान करने को कहा। मैंने शुरू में बिल्कुल भी विश्वास नहीं किया और 15 मिनट ध्यान किया परन्तु मुझे कुछ नहीं हुआ, क्योंकि मैं हमेशा से अपने इष्ट देवता के रूप में श्री बालाजी महाराज को पूजता था और मुझे ध्यान के दौरान भी कुछ नहीं हुआ। फिर 29 जनवरी 2011 को मुझे किसी ने दिल्ली में ही जहर दे दिया, क्योंकि मैं सोने की अंगूठी और मूल्यवान चीजें पहनता था। उसके बाद मैं बीमार हो गया। उस दिन तो डॉक्टर ने पूरी रात इलाज करके सारा जहर नलियों से निकाल दिया और मैं ठीक हो गया, परन्तु उसके बाद मैं बीमार ही रहा और धीरे-धीरे करके मेरी हालत ज्यादा बिगड़ने लगी और मुझे हॉस्पीटल में भर्ती कर लिया। फिर मुझे टीबी घोषित कर दिया।

  • मैं 65-68 किलो से मात्र 43 किलो का रह गया। उसके बाद मेरे मौसा जी के मित्र के अस्पताल में मुझे भर्ती किया। उन्होंने मुझे 7 दिन में ठीक करने की गारंटी ली परन्तु 7 दिनों में 77 इंजेक्शन और अनेकों दवाईयाँ के बाद भी मैं सही नहीं हुआ और मेरा वजन मात्र 33 किलो रह गया। दिल्ली एम्स हॉस्पीटल, जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल और ज्यादातर सभी डॉक्टरों ने मुझे जवाब दे दिया कि मैं नहीं बचुंगा।

तभी अचानक जिस कमरे में, मैं भर्ती था वहाँ पर लगे टी वी को नर्स ने शुरू किया तो अचानक ही जी जागरण पर गुरुदेव जी का कार्यक्रम आ रहा था और मैंने मंत्र दीक्षा ली। मैंने मंत्र जाप करना शुरू किया और मेरा ध्यान भी लगने लगा। मुझे खेचरी मुद्रा भी लगने लगी। गुरुदेव की कृपा से मेरे ठीक होने के सारे रास्ते खुलने लगे। अपने आप ध्यान लगता, खेचरी मुद्रा लगती थी और मैं मात्र 15 दिनों में ठीक हो गया।
  • लेकिन गुरुदेव के प्रति मेरा पूर्ण समर्पण नहीं हुआ क्योंकि मुझे भ्रम था कि मुझे बालाजी ने ठीक किया होगा। इसी गलतफहमी को पालते हुए मैंने पूर्ण समर्पण नहीं किया। 15 मिनट ध्यान करता और आधा घंटा श्री बालाजी की पूजा करता, इससे मेरी शक्ति और भक्ति दोनों बंटने लगी। परेशानियाँ बढ़ने लगी, एक समय आया कि मैं पागल सा हो गया। पूजा-पाठ में सबने मुझे समझाया कि सिर्फ श्रीगुरुदेव जी की आराधना करो परन्तु मैंने किसी भी गुरु भाई की बात नहीं मानी और कहा कि यदि गुरुदेव में शक्ति है तो वो मुझे स्वयं बुलाएँगे और बोलेंगे। इसी हठ में दिन पर दिन गुजरते रहे, मेरा पागलपन बढ़ता रहा। एक दिन 7 जनवरी 2013 को मैं बहुत रोया और गुरुदेव से माफी माँगी।

  • फिर मैंने पूरे परिवार के साथ जोधपुर आश्रम जाने का कार्यक्रम बनाया और हम जोधपुर धाम पहुँचे। मेरा सौभाग्य था कि उसी दिन श्री दादा गुरुदेव जी की बरसी का कार्यक्रम था। थोड़े समय बाद जैसे ही गुरुदेव ने प्रमुख दरवाजे से प्रवेश किया, मेरा शरीर बुरी तरह हिलने लगा। हाथ-पैर कांपने लगे। ध्यान लग गया और इतना-रोया, इतना रोया कि मैं जीवन भर नहीं रोया और निरंतर एक ही प्रार्थना थी कि गुरुदेव जी मुझे रास्ता दिखाइये और ऐसा ध्यान लगा और साक्षात् बालाजी के दर्शन हुए, ये कहते हुए कि तेरी पूजा सफल हुई और अब तुम आगे बढ़ो और मुझे नहीं, श्री गुरुदेव जी को मानो, उनकी पूजा करो, चरण स्पर्श करो, इन्हीं में मैं हूँ।

  • अचानक ध्यान खुला और मन शांत हुआ और जब श्री गुरुदेव जी के चरण स्पर्श करने का समय आया तो ऐसे रोया जैसे कि शरीर से आत्मा अलग हो रही हो और निरंतर एक ही प्रार्थना कि मुझे अपने श्री मुख से सिर्फ और सिर्फ एक बार कह दो जो मैं सुनना चाहता हूँ। जब मैं बहुत रोया बहुत रोया तो गुरुभाईयों ने मुझे पकड़ा और अपने आप को संभालने के लिए कहा, परन्तु मैं और रोता गया और बस एक ही प्रार्थना करता रहा कि गुरुदेव जी आप तो जानते हैं ना कि मैं यहाँ क्यू आया हूँ, कृपा करो प्रभु, तभी श्री गुरुदेव जी ने मुझे वापस इशारा करके बुलाया और उनके शिष्यों को कहा कि मुझे छोड़ दें, चरण स्पर्श करने दें।

  • फिर मैंने वापस गुरुदेव के श्री चरणों को स्पर्श किया और रोने लगा तभी श्री गुरुदेव जी ने मुझे उठाया और अपने शुभ हाथों से मुझे शुभाशीर्वाद दिया और वही कहा जो मैं सुनना चाहता था। अंततः वे बोले कि तूं बालाजी की पूजा करता है ना? मैंने कहा हाँ, फिर उन्होंने कहा कि ध्यान में सब ठीक हो गया, मैंने कहा हाँ, परन्तु मैं आपके श्रीमुख से सुनना चाहता हूँ, तभी तुरन्त श्री गुरुदेव जी ने मुझे आशीर्वाद देते हुए बोला कि "मैं ही कल्कि अवतार हूँ।" मुझमें ही श्री बालाजी है और समस्त 36 करोड़ देवी देवता है, केवल मंत्र जाप कर, सब अच्छा होगा।

  • ये अनुभव मैं सभी गरु भाईयों और गुरु बहिनों से कहता हूँ। सिर्फ श्री गुरुदेव जी की आराधना करो, मंत्र जाप करो, ये ही परमशक्ति है, परमसत्ता है। इसलिए मेरी सभी से करुण प्रार्थना है कि अंधविश्वासों में ना पड़कर केवल और केवल श्री गुरुदेव जी का ध्यान और मंत्र जाप करें, वे ही भवसागर के तारणहार हैं।

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