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पंडित शिव कुमार शर्मा

वर्षों पुरानी शराब की लत से छुटकारा

पता

पंडित शिव कुमार शर्मा रामपुर, यूपी

मैं पंडित शिव कुमार शर्मा, निवासी- रामपुर यूपी का रहने वाला हूँ। मैं व्यवसाय से कर्मकाण्डी ब्राह्मण हूँ। आज दिनांक 16 जून 2014 को मैं मेरे एक साथी के साथ जोधपुर आश्रम आया और गुरुदेव के दर्शन कर धन्य हो गया। करीब चार वर्ष पहले की बात है। एक दिन मैंने गुरुवार को टीवी स्विच ऑन किया। टीवी पर गुरुदेव का कार्यक्रम आ रहा था। उसे देखकर मेरे मन में प्रेरणा जगी।

  • मैंने अगले दिन ए. वी.एस.के जोधपुर आश्रम पर फोन किया तथा पूरी जानकारी लेने के पश्चात् जोधपुर-आश्रम से सिद्धयोग-दर्शन की सी.डी, फोटो और स्पिरिचुअल-साइंस मैग्जीन व विशेषांक आदि कोरियर द्वारा मँगवाई।

  • दीपावली से दो दिन पूर्व मुझे सारी सामग्री प्राप्त हुई। पार्सल खोलने से पूर्व ही मैंने निश्चय किया कि मैं पार्सल को दीपावली पूजने से पूर्व ही खोलूँगा तथा अपनी साधना दीपावली पूजन से पूर्व ही प्रारम्भ करूंगा। मैंने वैसा ही किया। दीपावली के दो दिन पश्चात् मुझे स्वप्न में ज्ञात हुआ कि आकाशीय रंग के अन्दर सुनहरी अक्षरों में लिखा हुआ था "श्री कृष्ण शरणं मम् गच्छामि।" ये पंक्तियाँ मैंने बड़े स्पष्ट अक्षरों में लिखी देखी।

तभी से मेरे मन में गुरुदेव की आस्था दृढ़ हो गई तथा ज्ञान स्रोत की धारा बहने लगी। मैं शराब आदि दुर्व्यसनों से पीड़ित था जिनको छोड़ने के लिए मैं वर्षों से भरसक प्रयास कर रहा था लेकिन सफल नहीं हुआ। गुरुदेव सियाग का नाम जप व ध्यान करने पर वो केवल तीन दिन में ही छूट गए।
  • मैं शिवजी के मंदिर में पूजा करने के लिए जाता था। कई बार जब मैं पूजा व आरती की थाली लेकर रवाना होता, इतने में कई साथी शराब की बोतल ले आते तो मैं पूजा की तस्तरी को एक तरफ रखकर शराब पीने लग जाता था। उस दिन शिवजी पूजा का इंतजार करते ही रहते थे। ऐसी थी हमारी पूजा की स्थिति।

  • “अब मुझे ये भी मालुम नहीं कि हिन्दुस्तान में शराब भी बिकती है या नहीं।" - लेकिन गुरुदेव के नाम की ऐसी लहर चली कि मेरे जन्म जन्मांतर के पाप कट गये। अब मुझे असली पूजा और ब्राह्मणत्व समझ में आया। मैं केवल ठगने की विद्या ही जानता था। कोई मेरे पास कितनी ही श्रद्धा से आता लेकिन मेरे मन में तो उसे मूर्ख बनाने का ही भूत सवार रहता था। और अब मैं समझ रहा हूँ कि ज्यादातर पाखंडी इसी जुगाड़ में ही रहते हैं।

  • जब मैं गुरुदेव का ध्यान करने बैठता हूँ तो गहराई में चला जाता हूँ। कई बार तो इतना गहरा ध्यान लगता है कि पत्नी आकर बोलती है कि भोजन कर लो। अब मुझे साक्षात् श्री कृष्ण, श्री कल्कि मिल गये। निरन्तर मुझे नित नई अनुभूतियाँ होने लगी।

  • मेरा सभी से यही अनुरोध है कि जगह जगह भटकने के बजाय गुरुदेव के चरणों में पूर्ण समर्पित भाव से साधना आरम्भ कर अनुशासित जीवन जिऐं तथा जीवन की सभी समस्याओं का समाधान पाएँ।

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